राजस्थान की यह बावड़ी बनाई है एक भूत ने
वैसे तो हर बच्चे का बचपन किस्सो कहानियां से भरा होता है, आपने भी भूतो के बारे में कही कहानिया सुनी होगी पर आज हम आपको जो बताने जा रहे है वह कोई कहानी नही बल्कि एक हकीकत घटना है।आपको पता है राजस्थान में प्राचीन काल से ही कहि राजा महाराज हुए है,ओर उन्होंने कहि महल किलो का निर्माण कराया और पीने के पानी के लिए बावड़ीया बनाई है।पर राजस्थान में एक ऐसी भी बावडी है जिसको बनाने में एक भूत ने अपना सहयोग दिया था।मारवाड़ में पहले प्राचीन काल मे जब राजपूतो की चम्पारण शाका का विभाजन हुआ तो उनमें से कुछ लोगो कापरड़ा गांव में रहने लगे थे।उस समय कापरड़ा में साधना कर रहे साधु लोगो को राजपूतों के राजकुमारों ने परेशान करना चालू कर दिया तो.उनसे परेशान होकर साधुओं ने उन्हें श्राप दे दिया कि तुमारी आने वाली पुश्ते यहाँ नही रह सकेगी।जब राजा को यह पता चला तो राजा ने इस गांव को छोड़ कर रठासी गांव में रहने के लिए चले गए जो जोधपुर के पास में है।एक बार की बात है जब राजा जयसिंह अपने सैनिकों के साथ बाहर से अपने महल जा रहे थे तब उनका घोड़ा बहुत थक गया था और प्यास था तो अपने घोड़े को पानी पिलाने के लिए राजा जयसिंह पास में ही एक तालाब में घोड़े को पानी पिलाने चले गए,जब घोड़े ने पानी पिया ओर कुछ दूर ही आये थे कि उन्हें सामने एक भूत दिखाया दिया उस भूत ने उनसे कहा कि में प्यास हु ओर मुजे श्राप होने की वजह से में इस तलाब में पानी नही पी सकता हु इसलिए आप मुजे पानी पिलाये।राजा जयसिंह ने भूत को पानी पिलाया फिर भूत ने खुश होकर राजा से कहा कि में तुमसे बहुत खुश हुआ बताओ में तुमारी क्या मदद कर सकता हु,तो फिर राजा जयसिंह ने भूत से कहा कि वह उनके महल में एक पानी की बावड़ी बना दे फिर भूत ने कहा कि वह उनके साथ मे रहकर काम नही कर सकता पर आप दिन में काम करना और में रात में करूँगा और यह बात किसी को नही बताये भूत ने कहा।राजा ने महल जाकर बावड़ी का काम चालू करा दिया दिन में मजदूर लोग काम करते और जब सुबह देखते तो उनको अपने काम से भी सौ गुना ज्यादा काम दिखता था।राजा जयसिंह की पत्नी को रोज रात पथरो की आवाज सुनाई देती थी,तो उनको शक हुआ और उन्होंने जिद्द कर ली राजा से जानने के लिए की आखिर बावड़ी का काम इतना जल्दी कैसे हो रहा है।राजा जब रानी की जिद्द से मजबूर हो गया और उसने भूत वाली बात रानी को बता दी,फिर बावड़ी बावड़ी का काम वही का वही रुक गया और उस बावड़ी का काम आज भी अधूरा ही है।
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